Saturday 13 August 2011

आजादी

आजादी 
काश तुम सूरज होती 
तो जा सकती थी हर घर आँगन में ...

आजादी 
काश तुम वायु होती 
होती सचारित हर जीवन में

आजादी 
काश तुम  जल होती 
बहती निश्छल निष्कपट गंगा के जल में 

आजादी 
काश तुम आकाश होती 
झिलमिल तारो की छत होती हर जन गन मन  में 

आजादी 
काश तुम अग्नी होती 
बन कर लौ दीप की जलती मंदिर महल कुटिया में 

आजादी 
काश तुम कैद न होती 
संसद भवन  के गलियारों में 

Sunday 7 August 2011

सुबह उठा आज मैं 
तो जाने क्यों मेरे बदन से 
एक खुशबु सी उठी
सोचा रात का मंजर
उस का नींद के साथ 
चुपके से मेरी आँखों में समाना
वो हसीन पल 
जिस के कभी हम ने ख्वाब देखे थे
आज उस ख्वाब का ख्वाब में ही
हकीकत बन जाना 
आज ही जान पाया हु मैं 
सुबह इतनी भी खुबसूरत होती है 
महक रहा है मेरा तन - मन अभी भी ..............

Saturday 6 August 2011

फैसला कब दुआए करती है

क्या यकीं करू मैं तेरी दुआओं के असर पर
होता अगर असर तो तू दुआ ही क्यों  करती 

जिन्दगी तो कुछ होती ही है सफ़र की तरह
कभी झरने से बहती है .कभी शिखर पर चढ़ती  है 

ख्वाबो की नजाकत को भी तू देख 
ये बद्दुआओ से भी ये बिखरते है 

ये तेरा भरम भी मुझे बहुत मजबूत सा करता है 
डरता हु तू टूट न जाये कही आंसू मेरे  देख कर 

तू लाख रख यकी अपनी दुआओं  पर 
पर भूल मत के फैसले  कब दुआए करती है

Thursday 4 August 2011

नसीब भी उस का कुछ अजीब था .....

खोने और पाने का खेल तो देखो.....
उस  ने वो खोया जो सिर्फ उस का ही था .
और मैंने वो खोया जो मेरा कभी हो न सका

उस ने कहा था खुश रहा करो ......
अपने एक वादे पर अटल मैं हसता ही रहा 
और वो  मुझे आज खुश देख कर भी खुश हो न सका 

इतना तो यकी मुझे भी था अपनी मोहब्बत पर
कहते थे नज़रे घुमा....चले जायेंगे एक दिन बहुत दूर तुम से 
रास्ते में एक बार मिला तो मुह अपना  मोड़ न सका 


नसीब भी उस का कुछ अजीब था .....
गया था जो बड़े गुरुर के साथ मुझ से दूर 
लौटा तो नज़रे मिला के कुछ बोल न सका