Sunday 18 September 2011

बेटिया

बेटिया
बीज की तरह ही तो होती है

१..........
चाहिए उन्हें भी विश्वास की थोड़ी सी जमीन
लाड दुलार की थोड़ी सी फुहार
खाद थोड़ी सी शिक्षा की ......
फिर देखो कैसे लहरा सी जाती है
तैयार सतत .........
समाज घर परिवार के
पोषण को ............

२...................
पिस जाती है कभी
रीती रिवाज के पाटो में
व्यग्तिगत स्वार्थ और लालच ने
दल दिया है उन को अक्सर ही
और खो देती है सम्भावनाये असीम
अपने को साबित करने की

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