Thursday 15 December 2011




चुपके से यु उस का मुझ से दूर चले जाना
पीछे उस के सवाल हज़ार छोड़ गया

न आया पसंद उसे वफ़ा का चलन
एक जरा सी बात पर इतना बवाल छोड़ गया
कौन रोक सका है किसी की बिदाई का क्षण
वापसी की राह में लेकिन ये कैसा मलाल छोड़ गया

Friday 2 December 2011





शाम के डूबते सूरज के साथ हर रोज
दिल में मेरे एक दस्तक सी देता जाने कौन है

थक के निढाल हो जाता हु जब दिन भर की थकन से
ठंडी पुरवाई सा मेरे रूह के आप पास जाने चलता कौन है
काली सर्द रातो में जब ठिठुर सा जाता हु
चादर सा मेरे रूह पर बिछ जाता जाने कौन है
खवाब में पा कर उसे जब धड़कता है तेज दिल मेरा बार बार
मेरे सीने में अपना सर रख मेरी धड़कनों को सुनता जाने कौन है
सुबह को जब होता हु मैं नींद के आगोश में
बालो में मेरे उगंलिया सी फेर कर जाने उठाता मुझे कौन है
दिन की आपा धापी में हो जाता हु मैं मशगुल बहुत
हर कदम से कदम मिला कर साथ मेरे जाने चलता कौन है
वो तो चली गई थी कभी मुझ से बहुत दूर कही .
फिर भी उस सा मेरे दिल में जाने ये धड़कता कौन है