Thursday 1 March 2012




देख रहा हु इन दिनों मेरे ख्वाब में वो आ नहीं आ रही है


आज भी नहीं आई अगर तो सोचता हु कल से ......
उस के घर सामने पहरेदार बिठा दू ....
आखिर जाती कहा है मेरे ख्वाबो में आना छोड़ कर .....


एक खवाब ही उम्मीद है उन से मिल पाने की ..खिलखिलाने की ......
आखिरी वो उम्मीद भी जाने दू कैसे ??

Saturday 25 February 2012

मोहब्बत तब भी थी मोहब्बत अब भी है

जब तक बात की मैंने महफ़िलो और जाम की
लोग मेरे साथ दौलते अपनी खूब लुटाते रहे
जिक्र छेड़ दिया जिस दिन एक बच्चे की भूख का
कतराते है जाने क्यों लोग, उस बच्चे की फ़रियाद पर .....

छलक जाती थी जिन की आंखे अक्सर
जिक्रे ऐ महबूब और उसके ख्याल में
हुई बात मोहब्बते वतन की जिस दिन
छिपाते है नज़रे, वो मेरी इस एक बात पर .....

खता थी मेरी या था वो उस वक्त का तकाजा
मोहब्बत तब भी थी मोहब्बत अब भी है
छलकती थी जो आंखे कभी महबूब की याद में
टपकता है लहू आँखों से अब, क्रांति के आगाज पर .....

खुदगर्ज ज़माने को भी कैसे कहू दोस्तों
कुछ इल्जाम तो चढ़ेगा मेरे भी नाम पर
मिट जाना भी देश पर नसीब की बात है
कहा हर कोई चढ़ सका है फासी, देश के नाम पर

मिट जाये देश पर कभी शैलेश तो न कहना मर गया दोस्तों
कहना बिछ गया है जमीन पर, माँ भारती की एक आवाज़ पर

Thursday 23 February 2012

नव गाथा





हे विष्णु हे नाथ जगत के
एक बार फिर सुदर्शन चलाना होगा


घूम रहे थे भोले भंडारी कंधे पर ले
मृत सती कि काया
सृजन रुका था विनाश टला था
हर दुष्टों का संघार रुका था
तुम ही तो थे जिस ने चला कर चक्र
छिन्न भिन्न की सती की काया

हम मानव ने अब सिर्फ ग्रन्थ पढ़ा
और घूम रहे है अपने कंधो पर ले
अपने ही मृत संस्कारो अहिंसा की काया
बढ़ रही है फिर देश में दुष्टों की छाया
हे जनार्दन अब देर नहीं करो
चला कर चक्र छीन भिन्न करो फिर से
हमारे इन कुंठित मन की काया

शंख नाद अब करना होगा
क्रांति का एक नया सूत्रपात करना होगा
रन चंडी अब माता - बहने बने
हर देश भक्त के हाथो में हो अब जहर का प्याला
केश धुले अब माँ भारती का दुष्टों के रक्त से
बच्चा बच्चा बोले हर हर महादेव का नारा

स्थापना हो माँ भारती की निज आसन पर
लिखे इतिहास फिर हिन्दू की गौरव गाथा

हे गदा चक्रधारी नाथ जगत के
एक बार फिर सुदर्शन चलाना होगा